जानें हार्मोन्स का संतुलन क्यों है जरूरी, इन 4 योगासन से करें संतुलित

जानें हार्मोन्स का संतुलन क्यों है जरूरी, इन 4 योगासन से करें संतुलित

सेहतराग टीम

हमारे शरीर में कुल 230 तरह के हॉर्मोंस होते हैं, जो शरीर में अलग-अलग कामों को कंट्रोल करते हैं। हॉर्मोन की छोटी-सी मात्रा ही कोशिका के काम करने के तरीके को बदलने के लिए काफी है। दरअसल, यह एक केमिकल मेसेंजर की तरह एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक सिग्नल पहुंचाते हैं। हार्मोन्स के संतुलन में थोड़ी सी भी गड़बड़ी का असर फौरन हमारी भूख, नींद और तनाव के स्तर पर दिखने लगता है। असंतुलन से अर्थ है कि शरीर में या तो कोई हार्मोन ज्यादा बनता है या फिर बहुत कम। इसे समय रहते ठीक करना जरूरी है। हमारे शरीर में कार्टिसोल नामक एक स्ट्रेस हार्मोन होता है, जो हमें किसी खतरे की स्थिति में बचने के संकेत देता है। इसी हार्मोन की वजह से दिल की धड़कन, रक्तचाप और रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।

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हार्मोन्स में असंतुलन होने यानी छोटी सी मात्रा घटने व बढ़ने से इसका असर हमारे मेटाबॉलिज्म, इम्यून सिस्टम, रिप्रॉडक्टिव सिस्टम, शरीर के डिवेलपमेंट और मूड पर पड़ता है। कई हार्मोन, एक दुसरे हार्मोन को कंट्रोल करते हैं। उम्र, तनाव की अधिकता, अस्वस्थ जीवनशैली, स्टेरॉएड दवाओं का अधिक सेवन, ज्यादा वजन या कुछखास दवाओं के कारण हार्मोन्स के स्तर में गड़बड़ी हो सकती है। इसलिए आज हम आपको हार्मोन्स को संतुलित करने के लिए बेहद आसान और बेहद खास योगासन के बारे में बताऊंगा।

हार्मोन्स को संतुलित करते हैं ये योगासन-

पश्चिमोत्तनासन

अपने दोनों पैरों को फैला कर बैठ जाएं। आपके एड़ी-पंजे आपस में सटे हुए होने चाहिए। दोनों हाथों को बगल में सटाएं और कमर को सीधी व नजर यानी आंखें सामने रखें। अब दोनों हाथों को कान से सटाकर ऊपर उठाएं। अब सामने देखते हुए अपनी कमर को झुकाएं और दोनों हाथों से पैर के अंगूठे पकड़े और माथे को घुटने से लगाएं। अब कुछ देर खुद को इसी स्थिति में रखें और इसके बाद धीरे-धीरे पहली वाली में स्थिति में आ जाएं।       

शशांकासन-

सबसे पहले आसन बिछा लें। दोनो पैरों को घुटनों से मोड़कर नितम्ब के नीचे रखें और एड़ियों पर बैठ जाएं। सांस लेते हुए हाथों को ऊपर तरफ करें। इसके बाद धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें और दोनों हाथों की हथेलियों को फर्श पर टिकाएं। अपने सिर को भी फर्श पर टिकाकर रखें। आसन की इस स्थिति में आने के बाद कुछ समय तक सांस को बाहर छोड़कर और रोककर रखें। कुछ समय इस स्थिति में रहे और फिर थोड़ी देर आराम करके इस आसन को दोहराएं। इसे 4 से 5 बार करें।

सुखासन-

पालथी मारकर बैठ जाएं| अपने सिर गर्दन और पीठ को सीधा रखें। कंधों को ढीला छोड़ दें। दोनों हाथों को घुटनों पर तथा हथेलियों को ऊपर की ओर रखें| सिर को थोड़ा ऊपर उठाकर आंखे बंद कर लें। लम्बी और गहरी सांस लेते रहे। इस आसन को 5-10 मिनट तक कर सकते है|

जानुशिरासन-

सबसे पहले आसन पर बैठ जाएं और अपने दोनों पैर को आगे फैलाएं। दोनों हथेलियों नितम्ब के अगल बगल आसन पर रहें। अब दाएं पैर को मोड़कर बाएं जांघ से मिलाएं। ध्यान रहे आपका दायां घुटना जमीन को सटा रहे। धीरे- धीरे सांस भरते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं। अब सांस छोड़ते हुए सामने की आगे की ओर धीरे -धीरे झुकते रहें। ध्यान रखें आपका हाथ कान से सटा हो। अब माथा घुटने से लगाकर एड़ी को दोनों हाथों से पकड़ लें। इस स्थिति में कुछ देर रुकने के बाद वापस पहले जैसी स्थिति में आ जाएं।

 

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